अनंत चतुर्दशी का पर्व आज पूर्ण भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है और गणेश चतुर्थी के 10 दिवसीय उत्सव का समापन होता है, जिसे गणपति विसर्जन के नाम से जाना जाता है। इस दिन सही विधि से पूजा करने से भगवान विष्णु और गणेश जी दोनों की कृपा मिलती है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं –

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अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करके पीले कपड़े पहनें।
- इसके बाद भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का संकल्प लें।
- पूजा के लिए एक चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद प्रतिमा के पास एक कलश रखें, जिस पर स्वास्तिक बनाएं।
- पूजा में अनंत सूत्र रखें। यह धागा भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का प्रतीक है।
- भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, पीला चंदन, पीले वस्त्र और फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
- इसके बाद ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
- अंत में आरती करें।
गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त 6 सितंबर,
- प्रात: मुहूर्त – सुबह 07 बजकर 36 से सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक
- मध्यकाल मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 17 बजे से शाम 04 बजकर 59 बजे तक।
- सायाह्न मुहूर्त (लाभ) – शाम 06 बजकर 37 बजे से रात 08 बजकर 02 बजे तक
- रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – रात 09 बजकर 28 बजे से 01 बजकर 45 बजे तक, 7 सितंबर 2025
- उषाकाल मुहूर्त (लाभ) – सुबह 04 बजकर 36 बजे से 06 बजकर 02 बजे तक, 7 सितंबर 2025।
गणपति विसर्जन विधि
विसर्जन से पहले गणपति बप्पा की अंतिम पूजा विधिवत करें। उन्हें मोदक, लड्डू, फल और फूल चढ़ाएं। फिर परिवार के साथ मिलकर बप्पा की आरती करें और उनसे जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें। इस दौरान ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ बोलें। बप्पा की प्रतिमा को सम्मानपूर्वक उठाएं और किसी पवित्र नदी में विसर्जित करें।
