MP News: भोपाल में स्थापित होगा महाराणा प्रताप लोक, साथ ही महाराणा प्रताप कल्याण बोर्ड का गठन भी किया जाएगा…

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महाराणा प्रताप के शौर्य और वीरता की कहानियाँ पाठ्यक्रम में की जायेगी शामिल…

MP News: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि महाराणा प्रताप देश के शौर्य के प्रतीक हैं। भोपाल में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप लोक का निर्माण किया जाएगा। यह उनके त्याग, तपस्या, संघर्ष और बलिदान को श्रद्धांजलि होगी। स्मारक में महाराणा प्रताप के जीवन और कार्यों को चित्रित किया जाएगा।

साथ ही उनके सात सहयोगियों भामाशाह, पुंजाभील, चेतक और अन्य के योगदान को भी चित्रित कर दर्शाया जाएगा। महाराणा प्रताप द्वारा अपनी संस्कृति और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष तथा जीवन मूल्यों पर अडिग रहने की उनकी क्षमता से आने वाली पीढ़ी अवगत हो सके और तदनुसार संस्कार ग्रहण कर सकें, इस उद्देश्य से महाराणा प्रताप लोक का निर्माण सार्थक होगा।

प्रदेश में शालेय पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप के शौर्य और वीरता की कहानियाँ पढ़ाई जाएंगी। साथ ही महाराणा प्रताप कल्याण बोर्ड का गठन भी किया जाएगा।

महाराणा प्रताप (9 मई 1540–19 जनवरी 1597) –

महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार विक्रम संवत 1597 तदनुसार 9 मई 1540 राजस्थान के कुम्भलगढ़ में महाराणा उदयसिंह एवं माता रानी जयवन्ताबाई के घर हुआ। वे महावीर राणा सांगा के पौत्र थे। वे इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ़ प्रण के लिये अमर हैं।

उन्होंने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया, अंततः अकबर महाराणा प्रताप को अधीन करने में असफल रहा। महाराणा प्रताप की नीतियां शिवाजी महाराज से लेकर स्वतंत्रता सेनानियों तक के लिए प्रेरणा-स्त्रोत बनीं।

महाराणा जिस घोड़े पर बैठते थे वह घोड़ा चेतक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ घोड़ों में से एक था। महाराणा 72 किलो का कवच पहनकर 81 किलो का भाला अपने हाथ में रखते थे। भाला और कवच सहित ढाल-तलवार का वजन मिलाकर कुल 208 किलो का वजन उठाकर वे युद्ध लड़ते थे।

30 मई. 1576, बुधवार को हल्दी घाटी के मैदान में विशाल मुगलिया सेना और रणबाँकुरी मेवाड़ी सेना के मध्य भयंकर युद्ध छिड़ गया। युद्ध में महाराणा ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए, परन्तु अकबर की विशाल सेना के आगे राजपूती सेना नहीं टिक पाई और राणा प्रताप को जंगल में शरण लेनी पड़ी, पर उन्होंने अकबर की दासता स्वीकार नहीं की।

चित्तौड़ को छोड़ कर महाराणा ने अपने समस्त दुर्गों को शत्रु से पुन: छीन लिया। महाराणा ने चित्तौड़गढ़ व मांडलगढ़ के अलावा संपूर्ण मेवाड़ पर अपना राज्य पुनः स्थापित कर लिया। उदयपुर को उन्होंने अपनी राजधानी बनाया। इसके बाद मुगलों ने कई बार महाराणा को चुनौती दी लेकिन मुगलों को मुँह की खानी पड़ी। आखिरकार, युद्ध और शिकार के दौरान लगी चोटों की वजह से महाराणा प्रताप की मृत्यु 29 जनवरी 1597 को चांवड में हुई।

महाराजा छत्रसाल-

मध्यकालीन राजपूत योद्धा महाराजा छत्रसाल बुन्देला (4 मई 1649-20 दिसम्बर 1731) भारत के मध्ययुग के एक महान प्रतापी योद्धा थे। उन्होंने मुगल शासक औरंगज़ेब को युद्ध में पराजित करके बुन्देलखण्ड में अपना स्वतंत्र हिंदू राज्य स्थापित किया और ‘महाराजा’ की पदवी प्राप्त की।

महाराजा छत्रसाल का जन्म राजपूत परिवार में हुआ था और वे ओरछा के रुद्र प्रताप सिंह के वंशज थे। वे अपने समय के महान वीर, संगठक, कुशल और प्रतापी राजा थे। उनका जीवन मुगलों की सत्ता के खिलाफ संघर्ष और बुन्देलखण्ड की स्वतन्त्रता स्थापित करने के लिए जूझते हुए निकला। वे जीवन के अन्तिम समय तक अपनी मातृभूमि के लिए संघर्ष करते रहे।