पटना/किशनगंज (जनसत्ता): बिहार के सीमांचल क्षेत्र में अवैध घुसपैठ (Infiltration) का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के बीच सीधा सियासी टकराव बन गया है। दोनों नेताओं के तीखे बयानों ने मुस्लिम बहुल इस सीमावर्ती इलाके में राजनीतिक ध्रुवीकरण को तेज कर दिया है।

Enforcement Directorate Raipur: कांग्रेस नेता की शिकायत पर ईडी की भूमिका सवालों में

PM मोदी का ‘डेमोग्राफी मिशन’ पर ज़ोर

हाल ही में अपनी चुनावी रैलियों में, प्रधानमंत्री मोदी ने सीमांचल के संवेदनशील इलाकों में “सोची-समझी साजिश के तहत डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी) बदलने” की कोशिशों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट किया कि NDA सरकार घुसपैठियों को चुन-चुनकर देश से बाहर निकालेगी और उनकी ‘मनमानी’ नहीं चलने देगी। PM ने विपक्षी दलों पर घुसपैठियों को संरक्षण देने और देश के युवाओं का हक मारने का भी सीधा आरोप लगाया।
ओवैसी का करारा जवाब: ‘PM 11 साल तक क्यों सोए रहे?’
प्रधानमंत्री के बयान के तुरंत बाद, असदुद्दीन ओवैसी ने ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ के दौरान जवाबी हमला बोला। ओवैसी ने कहा, “सीमांचल में कोई घुसपैठिया नहीं है। यहां का हर शख्स भारत का वफादार नागरिक है। अगर 11 साल से PM की नाक के नीचे से कोई घुसपैठिया आ गया, तो वह अपनी नाकामयाबी स्वीकार करें और कुर्सी छोड़ें।”
ओवैसी ने आगे कहा, “PM मोदी घुसपैठियों की बात न करें। दिल्ली में उनकी एक ‘मुंहबोली बहन’ (अवैध अप्रवासी) बैठी है, जिसे बांग्लादेश की जनता ने भगा दिया। PM को पहले उसे बाहर निकालना चाहिए।”
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनावों से पहले घुसपैठ का मुद्दा उठाकर बीजेपी जहां अपने कोर वोट बैंक को मज़बूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं ओवैसी इस मुद्दे को सीमांचल की मुस्लिम आबादी के बीच अपनी पैठ बढ़ाने और उन्हें लामबंद करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह सियासी टकराव अब विकास के मुद्दों से हटकर पूरी तरह पहचान और नागरिकता की राजनीति पर केंद्रित होता जा रहा है, जिसका सीधा असर चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है। विपक्षी गठबंधन (RJD-कांग्रेस) पर दोनों तरफ से दबाव बढ़ रहा है, क्योंकि उन्हें इस संवेदनशील मुद्दे पर संतुलित रुख अपनाने में मुश्किल हो रही है।