रायपुर। छत्तीसगढ़ के समाज कल्याण विभाग से जुड़े हजारों करोड़ रुपये के कथित फर्जी NGO घोटाले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अपनी जाँच तेज कर दी है। सूत्रों के अनुसार, CBI की टीम ने समाज कल्याण विभाग कार्यालय से स्टेट रिसोर्स सेंटर (SRC) और फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (PRRC) से संबंधित संवेदनशील दस्तावेज़ों की फाइलें अपने कब्जे में ले ली हैं।

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जाँच का केंद्र बना 2004 का ‘कागज़ी’ संगठन

यह मामला मुख्य रूप से SRC (स्टेट रिसोर्स सेंटर) और PRRC के गठन से जुड़ा है। सीबीआई ने उन फाइलों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है, जो 16 नवंबर 2004 को इन संस्थाओं के गठन से संबंधित हैं।
जांच में यह सामने आया है कि ये संस्थाएँ सिर्फ कागज़ों पर ही थीं। न इनके पास मान्यता थी, न दफ्तर, और न ही कर्मचारी। इसके बावजूद, इन कथित सरकारी विभाग जैसे NGOs के नाम पर दिव्यांगों के कल्याण के लिए आवंटित सरकारी फंड की बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई।
मंत्री और IAS अधिकारी रडार पर
इस बड़े घोटाले में एक पूर्व मंत्री और 7 वरिष्ठ IAS अधिकारियों समेत कुल 14 लोगों की संलिप्तता का आरोप है। सीबीआई अब जब्त किए गए दस्तावेज़ों के आधार पर यह पता लगाएगी कि इन उच्च-पदस्थ अधिकारियों ने किस तरह एक फर्जी ढांचा तैयार किया और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया।
माना जा रहा है कि इन फर्जी संस्थाओं के नाम पर कर्मचारियों की फर्जी नियुक्तियाँ दिखाकर और कागज़ी खरीदी करके ₹1000 करोड़ तक के फंड का गबन किया गया है।
हाईकोर्ट के आदेश पर CBI जांच
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए हाल ही में सीबीआई को इस मामले में निष्पक्ष जांच करने और आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया था। सीबीआई की यह कार्रवाई इसी आदेश का हिस्सा है। आने वाले दिनों में कई पूर्व और वर्तमान अधिकारियों से पूछताछ हो सकती है और बड़े खुलासे होने की संभावना है।