High court order : बिलासपुर, छत्तीसगढ़। सड़कों पर आवारा मवेशियों के कारण बढ़ रहे गंभीर हादसों को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक बार फिर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। 11 नवंबर को हुई सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सरकार द्वारा पेश किए गए शपथपत्र पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
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सरकार के शपथपत्र पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल
पिछली सुनवाई में, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुरूप कार्रवाई करने और मुख्य सचिव से शपथपत्र के साथ जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। मुख्य सचिव ने अपने शपथपत्र में सरकार द्वारा बनाई गई तमाम योजनाओं और निर्देशों का ब्योरा दिया।लेकिन इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने सीधा सवाल किया: “आप लोग योजनाएं और निर्देश बनाते हैं, लेकिन लागू कौन कर रहा है?”कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सड़कों पर सुरक्षा और मॉनिटरिंग का हाल खराब है। सड़कें अंधेरे में डूबी रहती हैं, और आवारा पशुओं के कारण हर दिन हादसे हो रहे हैं। कोर्ट ने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ ‘रिपोर्ट भरकर खानापूर्ति’ कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत जस की तस बनी हुई है।
कड़ाई से पालन का आदेश और अगली सुनवाई
डिवीजन बेंच ने सुरक्षा और मॉनिटरिंग की खराब स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साफ किया कि सिर्फ कागज़ी निर्देश जारी करने से लोगों की जान नहीं बचेगी।चूँकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है, जिसकी अगली सुनवाई 13 जनवरी को होनी है, इसलिए हाईकोर्ट ने इस केस की अगली सुनवाई की तारीख 19 जनवरी तक बढ़ा दी है।
आम जनता के लिए क्यों है यह खबर जरूरी?
यह घटनाक्रम दिखाता है कि हाईकोर्ट सड़कों की सुरक्षा और नागरिकों की जान को लेकर कितना गंभीर है। सरकार की योजनाओं का जमीनी स्तर पर लागू न होना एक बड़ी समस्या है। अब देखना यह होगा कि कोर्ट की इस सख़्त टिप्पणी के बाद, क्या छत्तीसगढ़ की सड़कों पर आवारा मवेशियों की समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस और प्रभावी कार्रवाई की जाती है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ सके।


