नई दिल्ली, 13 नवंबर। दिल्ली के लाल किला कार ब्लास्ट में 10 लोगों की मौत के बाद जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। संदिग्ध हमलावर डॉ. उमर मोहम्मद, जो Jaish-e-Mohammed (JeM) से जुड़ा बताया जा रहा है, Telegram ऐप के जरिए विदेशी हैंडलर्स से संपर्क में था। यह खुलासा NDTV की रिपोर्ट में किया गया है।
“रेडिकल डॉक्टर्स नेटवर्क” से जुड़ा था उमर
जांच एजेंसियों के अनुसार, उमर और उसके दो साथी डॉक्टरों का एक “रेडिकल डॉक्टर्स नेटवर्क” नामक समूह था, जो Telegram पर ही आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाता था। दो साथियों की गिरफ्तारी की खबर के बाद उमर ने खुद को बम से उड़ा लिया।
यह घटना एक बार फिर Telegram के डार्क साइड को सामने लाती है, जो अब वैश्विक सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बन चुका है।
साल 2013 में हुआ था Telegram का लॉन्च
Telegram ऐप की शुरुआत रूस के Pavel और Nikolai Durov भाइयों ने 2013 में की थी। इसका उद्देश्य यूज़र्स को प्राइवेसी और सुरक्षा देना था।
आज Telegram के 1 अरब से अधिक यूज़र्स हैं और यह दुनिया के सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स में से एक बन चुका है।
हालांकि, इसकी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन और गोपनीयता नीति अब आतंकवादी संगठनों के लिए भी सुरक्षित ठिकाना बन गई है।
आतंकियों की पसंदीदा ऐप क्यों है Telegram?
Telegram के एन्क्रिप्टेड चैट, सीक्रेट चैनल्स, और कम मॉडरेशन सिस्टम ने इसे आतंकियों के बीच लोकप्रिय बना दिया है।
ISIS, Al-Qaeda, Hamas, Hezbollah और अब Jaish-e-Mohammed जैसे संगठन Telegram के जरिए
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हमलों की योजना बनाते हैं,
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प्रचार सामग्री फैलाते हैं,
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और नए सदस्यों की भर्ती करते हैं।
2015 के पेरिस आतंकी हमले में भी Telegram और WhatsApp के जरिए संपर्क किए जाने के सबूत मिले थे।
Telegram नेटवर्क कितना गहरा है?
New York Times की एक जांच के अनुसार Telegram पर मौजूद
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16,000 से अधिक चैनल्स में
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32 लाख से ज्यादा संदेशों का विश्लेषण किया गया।


