गरियाबंद। जिले से बड़ा दर्दनाक मामला सामने आया है, जहां झोलाछाप डॉक्टरों और झाड़-फूंक पर भरोसा करने की वजह से एक ही परिवार के तीन मासूम बच्चों की 3 दिन के भीतर मौत हो गई। हादसे के बाद पूरे परिवार में कोहराम मचा हुआ है। घटना की गंभीरता देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यू.एस. नवरत्न ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। टीम ने गांव पहुंचकर जांच शुरू कर दी है।
कैसे हुआ पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक यह घटना अमलीपदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले गांव धनौरा की है। यहां रहने वाला डमरूधर नागेश, जो मजदूरी का काम करता है, कुछ दिन पहले अपने ससुराल साहेबीन कछार (उदंती अभ्यारण्य क्षेत्र) गया था। लगभग एक सप्ताह रहने के दौरान उसके बच्चों की तबीयत अचानक खराब होने लगी।
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झोलाछाप डॉक्टर का सहारा, बिगड़ती हालत को नजरअंदाज
बच्चों की बीमारी बढ़ने पर परिवार ने झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराया। हालात में सुधार नहीं हुआ तो भी उन्होंने विशेषज्ञ चिकित्सक को नहीं दिखाया और झाड़-फूंक का सहारा लेते रहे।
मितानिन ने दी थी अस्पताल जाने की सलाह, फिर भी नहीं माने
जब गांव की मितानिन को बच्चों की स्थिति की जानकारी हुई, तो उसने परिवार को अस्पताल ले जाने के लिए कहा, लेकिन नागेश परिवार ने उसकी बात को नजरअंदाज कर दिया। नतीजा यह हुआ कि 3 दिन के अंदर तीनों मासूमों की दर्दनाक मौत हो गई।
स्वास्थ्य विभाग हरकत में, तीन सदस्यीय जांच दल गठित
घटना सामने आने के बाद स्वास्थ्य अधिकारी यू.एस. नवरत्न ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई है।
टीम धनौरा गांव पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण कर रही है और परिवार सहित ग्रामीणों से पूछताछ शुरू कर दी है।
जिले में हड़कंप, झोलाछाप डॉक्टरों पर हो सकती है बड़ी कार्रवाई
यह मामला जिले में झोलाछाप डॉक्टरों की बढ़ती गतिविधियों को उजागर करता है। स्वास्थ्य विभाग अब इस घटना के बाद संबंधित इलाके में अवैध डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाने की तैयारी में है।


