नई दिल्ली : पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष लोगों की स्मृति में केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान 2 मिनट का मौन रखा गया। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 और 35ए की समाप्ति के बाद अब धीरे-धीरे घाटी अपने खुशनुमा रंग में लौट ही रही थी। लेकिन, पाकिस्तान में बैठे नापाक इरादे वाले लोगों को यह कहां बर्दाश्त होने वाला था।

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पाक अधिकृत कश्मीर के पीएम की जुबानी तो इस तरह के कायराना हमले की चेतावनी पहले ही दी जा चुकी थी। फिर वहां से एक और आवाज पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष सैयद असीम मुनीर अहमद शाह की उठी, जिसने ‘टू नेशन थ्योरी’ और पाकिस्तान के गठन की बुनियाद और सोच की पूरी कहानी से लोगों को रू-ब-रू करा दिया।इसके बाद कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को जो हुआ, वह पाकिस्तान की सरजमीं पर पल रहे आतंकियों और पाक सेना के जवानों की बुजदिली थी और कुछ नहीं। 22 अप्रैल 2025 की दोपहर तक तो कश्मीर में सब कुछ सामान्य था। यहां बड़ी संख्या में घूमने आए सैलानी पहलगाम में थे। बड़ी संख्या में पर्यटक कश्मीर आ रहे थे और उनके साथ वहां के स्थानीय लोगों का व्यवहार भी काफी अच्छा था। ये वही कश्मीर था, जहां जी-20 सम्मेलन आयोजित किया गया था। लेकिन, 22 अप्रैल 2025 को दोपहर के बाद पहलगाम में हुआ आतंकी हमला निर्दोष नागरिकों को टारगेट कर हुआ, जिसमें पूरे भारत से आए पर्यटकों को जानबूझकर निशाना बनाया गया था।

पहलगाम आतंकी हमले ने इसके पैमाने नहीं, बल्कि इसकी बर्बरता की वजह से देश के लोगों को झकझोर कर रख दिया। आतंकी हमले के दौरान जो लोग बच गए, उन्होंने अपनी जुबानी बताया कि कैसे खुशियों से भरी घाटी को आतंकियों ने कुछ ही पलों में मौत का जमघट बना दिया। कैसे हथियारों से लैस आतंकियों ने लोगों से उनका नाम और धर्म पूछा और इस पहचान के आधार पर उन्हें अलग कर दिया। इसके बाद उन्होंने हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया और इन आतंकियों ने बर्बरतापूर्वक हिंदुओं के सिर में गोली मार दी। एक पीड़ित महिला ने तो बताया कि उनके पति को केवल इसलिए सिर में गोली मार दी क्योंकि उनसे पूछा गया कि तुम हिंदू हो या मुसलमान और उनके पति ने कहा, हिंदू।
आतंकी खौफ का ऐसा मंजर पैदा करना चाहते थे कि उन्हें भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस का भी खौफ नहीं था। वह काफी देर तक इस भीड़ पर क्रूरता से गोलियां चलाते रहे। यहां निहत्थे पर्यटकों पर गोलियां बरसाने का आतंकियों का उद्देश्य केवल लोगों को मारना नहीं बल्कि देश के लोगों के आत्मविश्वास को तोड़ना, इस हमले को वैश्विक सुर्खियां बनाना और भारत के लोगों में भय का माहौल पैदा करना था। ऐसा करके पाकिस्तान की सेना ने एक बार फिर दुनिया को याद दिलाया कि वह आतंकवाद को कमजोरी के कारण नहीं, बल्कि जानबूझकर ‘विदेश नीति के औजार’ के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
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