लेह: लद्दाख में राज्य के दर्जे और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर 24 सितंबर को हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए 26 प्रदर्शनकारियों को लेह की एक अदालत ने अंतरिम जमानत दे दी है। इन प्रदर्शनकारियों की रिहाई को स्थानीय प्रशासन द्वारा विश्वास बहाली के एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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हालांकि, लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के प्रमुख नेताओं में से एक, जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक अभी भी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में हैं।

सद्भावना संकेत के तौर पर रिहाई
हिंसा के बाद पुलिस ने लगभग 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया था। अदालत से जमानत मिलने के बाद गुरुवार सुबह 26 प्रदर्शनकारियों को लेह जिला जेल से रिहा किया गया। इस दौरान लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के सह-अध्यक्ष त्सेरिंग दोरजे लकर्क समेत कई स्थानीय नेता और उनके परिजन उन्हें लेने पहुंचे। रिहा हुए लोगों का पारंपरिक खातक (सफेद स्कार्फ) पहनाकर सम्मान किया गया।
स्थानीय नेताओं ने जहाँ रिहाई का स्वागत किया है, वहीं यह भी दोहराया है कि लेह हिंसा में मारे गए चार नागरिकों के लिए न्यायिक जांच और अन्य सभी गिरफ्तार किए गए लोगों की बिना शर्त रिहाई तक सरकार के साथ उनकी बातचीत का माहौल नहीं बन पाएगा।
दर्जनों आरोपी अभी भी फरार, पुलिस की तलाश जारी
पुलिस सूत्रों के अनुसार, 24 सितंबर को हुई झड़पों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने और हिंसा भड़काने के आरोप में दर्जनों लोग अभी भी गिरफ्तारी से बच रहे हैं। पुलिस इन फरार चल रहे आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही है। प्रशासन का कहना है कि हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
सोनम वांगचुक NSA के तहत हिरासत में
लद्दाख में हुए इस पूरे आंदोलन के प्रमुख चेहरे, पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी इस मामले का सबसे बड़ा पहलू है। उन पर हिंसा भड़काने के आरोप लगे हैं, जिसके बाद उन्हें NSA के तहत हिरासत में लिया गया और राजस्थान की जोधपुर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है। वांगचुक और उनकी पत्नी गीतांजलि जे. आंगमो ने इन आरोपों को निराधार बताया है और केंद्र सरकार पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
लद्दाख प्रशासन ने चार नागरिकों की मौत के मामले में मजिस्ट्रेट जाँच के आदेश दिए हैं, जिसकी जाँच चार सप्ताह के भीतर पूरी होने की उम्मीद है।