नई दिल्ली। देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था में अब तक का सबसे बड़ा संरचनात्मक सुधार होने जा रहा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) जैसे मौजूदा नियामक संस्थानों को समाप्त कर एक नया एकल उच्च शिक्षा नियामक स्थापित किया जाएगा।
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सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्तावित विधेयक को पहले भारत का उच्च शिक्षा आयोग (HECI) विधेयक कहा जा रहा था, लेकिन अब इसका नाम बदलकर “विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक” रखा गया है। इस नए कानून के तहत एक सिंगल रेगुलेटर बनाया जाएगा, जो देश की पूरी उच्च शिक्षा व्यवस्था की निगरानी करेगा।
क्यों जरूरी था यह बदलाव
अब तक उच्च शिक्षा के अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग नियामक संस्थाएं काम कर रही थीं। विश्वविद्यालयों के लिए UGC, तकनीकी शिक्षा के लिए AICTE और शिक्षक शिक्षा के लिए NCTE जिम्मेदार थे। इससे नियमों की जटिलता, निर्णय लेने में देरी और संस्थानों पर अनावश्यक प्रशासनिक दबाव बढ़ गया था। सरकार का मानना है कि कई बार नियम आपस में टकराते थे, जिससे कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को परेशानी होती थी।
नया सिंगल रेगुलेटर क्या करेगा
नया एकल नियामक उच्च शिक्षा से जुड़े सभी संस्थानों के लिए समान और पारदर्शी नियम तय करेगा। इसका मुख्य फोकस गुणवत्ता, अकादमिक मानकों और परिणामों पर होगा, न कि केवल नियंत्रण और निरीक्षण पर। साथ ही, संस्थानों को अधिक स्वायत्तता देने पर भी जोर रहेगा, ताकि वे नवाचार, शोध और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की दिशा में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
छात्रों और संस्थानों को क्या होंगे फायदे
इस सुधार से छात्रों को बेहतर शिक्षा गुणवत्ता, स्पष्ट नियम और एक समान व्यवस्था का लाभ मिलेगा। वहीं, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को बार-बार अलग-अलग नियामकों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। फैसले तेजी से होंगे, अनुमतियों की प्रक्रिया सरल होगी और भ्रष्टाचार की संभावना भी कम होने की उम्मीद है।


