Kanker Naxalite Surrenders : कांकेर। नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बलों को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। जिले में लंबे समय से सक्रिय चार सक्रिय नक्सलियों ने पुलिस और प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। समर्पण करने वालों में मदनवाड़ा हमले में शामिल रही कुख्यात महिला नक्सली मंजुला उर्फ लक्ष्मी पोटाई भी शामिल है, जिस पर ₹5 लाख का इनाम घोषित था।2009 में हुए मदनवाड़ा हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस माओवादी वारदात में राजनांदगांव के एसपी विनोद चौबे सहित 29 जवान शहीद हो गए थे। लंबे समय से फरार रही मंजुला पोटाई का समर्पण सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
- चार नक्सलियों ने किया समर्पण, लाखों का इनाम था घोषित
- मंजुला उर्फ लक्ष्मी पोटाई – इनामी ₹5 लाख
- काजल उर्फ रजिता – इनामी ₹8 लाख
- विलास उर्फ चैतु उसेंडी – इनामी ₹5 लाख
- रामसाय उर्फ लखन – इनामी ₹5 लाख
- “कई बड़ी घटनाओं में शामिल रहे थे ये नक्सली”—कांकेर एसपी
- अधिकारियों का कहना: “नक्सल गतिविधियां तेज़ी से सिमट रही हैं”
चार नक्सलियों ने किया समर्पण, लाखों का इनाम था घोषित
आज जिन नक्सलियों ने हथियार डाले, उनमें शामिल हैं:
मंजुला उर्फ लक्ष्मी पोटाई – इनामी ₹5 लाख
मदनवाड़ा हमले में शामिल कुख्यात महिला नक्सली।
काजल उर्फ रजिता – इनामी ₹8 लाख
कंपनी नंबर 10 की सक्रिय सदस्य, कई बड़ी घटनाओं में रही शामिल।
विलास उर्फ चैतु उसेंडी – इनामी ₹5 लाख
लंबे समय से कांकेर और आसपास के इलाकों में सक्रिय।
रामसाय उर्फ लखन – इनामी ₹5 लाख
जिला के कई हमलों और वारदातों में शामिल रहा है।
समर्पण के बाद चारों नक्सलियों को पुलिस की ओर से ₹50-50 हजार की सहायता राशि प्रदान की गई है।
“कई बड़ी घटनाओं में शामिल रहे थे ये नक्सली”—कांकेर एसपी
कांकेर एसपी आई कल्याण एलिसेला ने बताया कि आज आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली कई गंभीर घटनाओं और हमलों में शामिल रहे हैं, जिनमें कई जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। उन्होंने कहा कि:
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सरकार की पुनर्वास नीति
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सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई
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और बढ़ते दबाव की वजह से नक्सलियों में आत्मसमर्पण का सिलसिला तेज हुआ है।
एसपी के अनुसार, कांकेर जिले में अब सिर्फ बहुत सीमित संख्या में नक्सली बचे हैं, और संभावना है कि वे भी जल्द ही आत्मसमर्पण कर देंगे।
अधिकारियों का कहना: “नक्सल गतिविधियां तेज़ी से सिमट रही हैं”
समर्पण करने वाले इन नक्सलियों का दावा है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं। पुलिस और प्रशासन का मानना है कि आने वाले महीनों में नक्सल गतिविधियों में और गिरावट देखने को मिलेगी।


