New Labor Code : देश में श्रम सुधारों को लेकर केंद्र सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा और व्यापक बदलाव कर दिया है। मोदी सरकार ने श्रम से जुड़े 29 पुराने कानूनों को समाप्त करते हुए उनकी जगह 4 नए लेबर कोड लागू किए हैं, जो 21 नवंबर से पूरे देश में प्रभावी हो गए हैं। सरकार का दावा है कि ये नए कोड देश में रोजगार, श्रमिक अधिकारों और औद्योगिक संबंधों को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
- चार नए लेबर कोड क्या हैं?
- सरकार का दावा— आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
- क्या-क्या बदलेगा नए लेबर कोड से?
- 1. वेतन और कर्मचारियों की परिभाषा में बड़ा बदलाव
- 2. नियुक्ति और छंटनी की प्रक्रिया होगी सरल
- 3. श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा होगी मजबूत
- 4. काम करने के घंटे और ओवरटाइम का नया ढांचा
- 5. फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों में सुरक्षा नियम कड़े
- क्यों जरूरी थे ये बदलाव?
- कर्मचारियों और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
- आगे क्या?
चार नए लेबर कोड क्या हैं?
सरकार द्वारा लागू किए गए चार नए श्रम सुधार कानून इस प्रकार हैं:
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वेतन संहिता (Code on Wages)
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औद्योगिक संबंध संहिता (Industrial Relations Code)
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सामाजिक सुरक्षा संहिता (Social Security Code)
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व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य परिस्थिति संहिता (OSH Code)
इन चारों कोड में पुराने बिखरे हुए कानूनों को एकीकृत किया गया है, ताकि श्रमिकों और उद्योगों के बीच प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जा सके।
सरकार का दावा— आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
केंद्र सरकार ने कहा कि नया श्रम ढांचा देश को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करेगा। नए लेबर कोड से उद्योगों को अधिक लचीलापन मिलेगा, जबकि श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा भी मजबूत होगी।
क्या-क्या बदलेगा नए लेबर कोड से?
1. वेतन और कर्मचारियों की परिभाषा में बड़ा बदलाव
नए कोड के तहत वेतन की नई परिभाषा लागू की गई है। बेसिक सैलरी अब कुल वेतन का कम से कम 50% होना अनिवार्य है। इससे कर्मचारियों का PF और ग्रेच्युटी फंड बढ़ेगा, हालांकि हाथ में मिलने वाली सैलरी पहले की तुलना में कुछ कम हो सकती है।
2. नियुक्ति और छंटनी की प्रक्रिया होगी सरल
औद्योगिक संबंध संहिता के तहत कंपनियों को कर्मचारियों की नियुक्ति, छंटनी और रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाओं में राहत दी गई है, जिससे उद्योगों में प्रशासनिक बोझ कम होगा।
3. श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा होगी मजबूत
नए कानून के तहत गिग वर्कर, प्लेटफॉर्म वर्कर (जैसे—ऑनलाइन डिलीवरी पार्टनर) और अनौपचारिक क्षेत्र के कर्मचारी भी सामाजिक सुरक्षा लाभों के दायरे में आएंगे।
4. काम करने के घंटे और ओवरटाइम का नया ढांचा
नए कोड में काम के घंटे को 12 घंटे तक बढ़ाने का विकल्प दिया गया है, लेकिन साप्ताहिक काम के घंटे 48 ही रहेंगे। कंपनियां कर्मचारियों को 3-दिवसीय वर्किंग वीक भी दे सकती हैं।
5. फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों में सुरक्षा नियम कड़े
OSH कोड के तहत कार्यस्थलों में सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाज की स्थिति को बेहतर बनाना अनिवार्य कर दिया गया है।
क्यों जरूरी थे ये बदलाव?
सरकार का कहना है कि भारत में पहले श्रमिकों से जुड़े कानून बहुत बिखरे और जटिल थे। इससे उद्योगों को परेशानी होती थी और श्रमिकों को भी उनके अधिकारों का पूरा लाभ नहीं मिल पाता था। नए कोड से व्यवस्था सरल, डिजिटल और पारदर्शी होगी।
कर्मचारियों और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
नए कानूनों पर उद्योग जगत ने संतोष जताया है। उनका मानना है कि इससे रोजगार सृजन में बढ़ोतरी होगी और निवेशक भारत को एक बेहतर श्रम बाजार के रूप में देखेंगे। वहीं, कुछ कर्मचारी संगठनों ने कहा कि कुछ प्रावधान श्रमिकों के हितों को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए इनके क्रियान्वयन में संतुलन जरूरी है।
आगे क्या?
सरकार का कहना है कि अगले कुछ महीनों में सभी राज्यों को भी नए कोड लागू करने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी, जिसके बाद पूरे देश में एक समान श्रम कानून व्यवस्था लागू होगी।


