कवर्धा (छत्तीसगढ़): एक ओर देश डिजिटल इंडिया और आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले से सामाजिक कुरीति का एक शर्मनाक मामला सामने आया है। कुंडा थाना क्षेत्र के अखरा गांव में, राजेंद्र प्रसाद चंद्रवंशी और उनके परिवार को बीते तीन सालों से सामाजिक बहिष्कार की पीड़ा झेलनी पड़ रही है।


डीजल इंजन के विवाद से शुरू हुई पीड़ा

जानकारी के मुताबिक, राजेंद्र प्रसाद चंद्रवंशी के परिवार को गांव के तथाकथित ‘समाज के ठेकेदारों’ ने समाज से बहिष्कृत कर दिया है, जिसके चलते उनका गांव में हुक्का-पानी पूरी तरह बंद है।
सूत्रों के अनुसार, यह विवाद एक डीजल इंजन (पानी निकालने वाला इंजन) को लेकर शुरू हुआ था, जो धीरे-धीरे सामाजिक बहिष्कार तक पहुंच गया।
फरमान न मानने पर भारी जुर्माना
बहिष्कार का यह फरमान इतना कठोर है कि राजेंद्र प्रसाद चंद्रवंशी के परिवार से बात करना या किसी भी तरह का संबंध रखना पूरे गांव के लिए वर्जित है।
समाज के ठेकेदारों ने स्पष्ट आदेश जारी किया है:
- यदि कोई भी व्यक्ति इस बहिष्कृत परिवार को किसी सामाजिक कार्यक्रम (जैसे शादी, मृत्युभोज या अन्य समारोह) में शामिल होने के लिए निमंत्रण देगा, तो उस पर ₹51,000 का भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
- यदि कोई व्यक्ति इस परिवार को किसी अन्य प्रकार से सहयोग या मदद करता पाया गया, तो उस पर भी ₹21,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
परिवार का आरोप है कि इस फरमान के कारण वे पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गए हैं। उन्हें गांव की दुकानों से रोजमर्रा का सामान नहीं मिल रहा है, और न ही कोई उन्हें मजदूरी पर बुलाता है।
पीड़ित परिवार ने लगाई गुहार
तीन सालों से यह पीड़ा झेल रहा चंद्रवंशी परिवार अब न्याय के लिए प्रशासन के दरवाज़े पर पहुंचा है। उन्होंने उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई है कि इस सामाजिक अत्याचार को रोका जाए और तथाकथित ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि वे सम्मान के साथ गांव में रह सकें।
प्रशासन ने इस मामले को संज्ञान में लिया है और जांच के बाद उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।