भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, संसद भवन परिसर में जल्द ही एक और महत्वपूर्ण प्रतीक स्थापित किया जाएगा। यह प्रतीक ओडिशा के पुरी में होने वाली प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा के तीन विशाल लकड़ी के पहिए होंगे। यह कदम उस समय उठाया जा रहा है, जब दो साल पहले नए संसद भवन के उद्घाटन के समय पवित्र सेंगोल (राजदंड) को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया गया था।

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संसद में संस्कृति का नया अध्याय
यह निर्णय भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संसदीय लोकतंत्र के केंद्र से जोड़ने के सरकार के प्रयास का हिस्सा है। जगन्नाथ रथ यात्रा के पहिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं, जो एकता और सद्भाव का संदेश देते हैं।

- तीन पहियों का महत्व: रथ यात्रा के तीन मुख्य रथ होते हैं – भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष, बलभद्र का तालध्वज और देवी सुभद्रा का दर्पदलन। ये तीन पहिए इन्हीं रथों का प्रतिनिधित्व करेंगे। इनका संसद परिसर में होना, देश की विविधता में एकता की भावना को मजबूत करेगा।
- सेंगोल के बाद दूसरा प्रतीक: 28 मई 2023 को नए संसद भवन के उद्घाटन के समय, चोल साम्राज्य से जुड़ा पवित्र सेंगोल स्थापित किया गया था, जो सत्ता के हस्तांतरण और न्यायपूर्ण शासन का प्रतीक है। रथ यात्रा के पहिए अब संसद परिसर में स्थापित होने वाले दूसरे प्रमुख सांस्कृतिक प्रतीक होंगे।
स्थापना और स्थान
इन पहियों को संसद भवन के प्रवेश द्वार के पास या किसी अन्य प्रमुख स्थान पर स्थापित किया जा सकता है, ताकि ये आगंतुकों और सांसदों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकें। इस पहल का उद्देश्य लोगों को भारत की गहरी जड़ों वाली परंपराओं और आध्यात्मिकता से जोड़ना है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब देश अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व कर रहा है और उसे वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा है।