
” शिक्षा का उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास करना होता है न कि केवल किताबी ज्ञान देना। पाठ्य विषयो की शिक्षा के साथ बच्चों को शारीरिक शिक्षा, मानसिक शिक्षा , नैतिक शिक्षा, व्यवहारिक शिक्षा, कौशल शिक्षा, स्वावलंबन की शिक्षा आदि भी देना आवश्यक होता है तभी हम भावी पीढ़ी सुशिक्षित, सुसंस्कृत, और सशक्त देशभक्त नागरिक बना सकते हैं। व्यायाम से शरीर मजबूत होता है, योग और प्राणायाम से शरीर संतुलित होता है, और निरोग रहता है तथा मानसिक शक्ति का विकास होता है। इसीलिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग,प्राणायाम और व्यायाम को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल कराया है, उपरोक्त गतिविधियों के लिए सुबह का समय ही अनुकूल होता है,क्योंकि ये सब खाली पेट किया जाता है परंतु छग लोक शिक्षण संचालनालय के एक आदेश के साथ संलग्न समय सारणी की वजह से प्राचार्य व संस्थाप्रमुख शनिवार को भी सुबह 10 बजे से 4 बजे तक शाला अवधि करने आमादा है और कई जगहों पर 10 से 4 शाला लगाना प्रारम्भ भी कर दिए हैं जो कि न स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से, न ही व्यवहारिक तौर पर उचित है। शनिवार को सुबह स्कूल न लगाना बच्चों के सर्वागीण विकास में बाधक है, अतः शनिवार को पूर्ववत सुबह स्कूल ही लगना चाहिए ।”- उक्त कथन छग शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे का है। जिन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय व शिक्षामंत्री गजेंद्र यादव से आग्रह व मांग किया है कि शनिवार का शाला समय पूर्ववत सुबह स्कूल ही किया जावे, जिससे बच्चों के सर्वागीण विकास हेतु अन्य गतिविधियां अवरुद्ध न हों।

शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने बताया कि शाला संचालन अवधि हेतु स्कूल शिक्षा विभाग ने दिनांक 1-9-2018 को एक स्थायी आदेश निकालकर सोमवार से शुक्रवार एक पाली वाले स्कूल का शाला समय 10 से 04 तथा शनिवार के दिन प्रातः 7:30 से 11:30 बजे तक निर्धारित किया गया है। किंतु स्कूल शिक्षा विभाग के इस शाला संचालन समयावधि आदेश को DPI द्वारा दिनांक 22-07-2025 के एक आदेश में समय सारणी भेज कर अधिक्रमित करने का प्रयास किया है, जिससे पूरे प्रदेश में एकरूपता का अभाव आ गया है तथा जिससे शारीरिक शिक्षा, योग व्यायाम प्राणायाम जैसे गतिविधियां ठप्प पड़ गई है। शासन जल्द निर्णय लेकर स्पष्ट आदेश जारी करे जिससे शनिवार को सुबह होने वाली स्कूली गतिविधियां संचालित हो सके।
प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष चन्द्रशेखर तिवारी और प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने विद्यालयों में शनिवार को सुबह स्कूल लगाने की पैरवी करते हुए कहा कि शनिवार को सुबह स्कूल लगाने का फैसला हमारे शिक्षाविदों ने यूं ही नही लिया था, इसके पीछे बहुत से कारण हैं, जिनमे से एक बहुत बड़ा कारण है शारीरिक शिक्षा, व योग, प्राणायाम से शरीर और मन के बीच संतुलन बैठाना होता है। मन जब स्वस्थ होगा तो तन पर उसका परिणाम परिलक्षित होता है इसी तरह जब तन स्वस्थ होगा तो मन स्वस्थ होगा। योग प्राणायाम व्यायाम के लिए हमारे पूर्वजों ने सदैव सुबह के समय को सर्वानुकूल बताया है, इसलिये हम हमेशा इन गतिविधियों को सुबह अथवा शाम को करते हैं। बच्चों का सर्वागीण विकास ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है, ऐसे में केवल पुस्तकीय पढाई पर बल देना और अन्य गतिविधियों को ठप्प करना कोई समझदारी का काम नही है। मुख्यमंत्री जी व शिक्षामंत्री जी संज्ञान लेकर DPI के इस अव्यवहारिक आदेश को निरस्त कर शनिवार को पूर्व की भांति सुबह 7:30 से 11:30 अथवा 8 बजे से 12 बजे तक शाला संचालन समय का स्पष्ट आदेश जारी करने निर्देशित करें।जिससे बच्चों के अन्य विकासात्मक गतिविधियों को सफलता पूर्वक संचालित किया जा सके।