हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी के दिन पूरे भक्तिभाव के साथ विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग में इसी पवित्र तिथि पर भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह सम्पन्न हुआ था। इसी कारण यह दिन हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष विवाह पंचमी 25 नवंबर 2025 को मनाई जा रही है।
अयोध्या में शुरू हुआ उत्सव का माहौल
विवाह पंचमी केवल एक दिन का पर्व नहीं है, बल्कि इससे जुड़े कई धार्मिक अनुष्ठान, रीति-रिवाज और परंपराएँ पूरे सप्ताह विशेष उत्साह के साथ निभाई जाती हैं। अयोध्या नगरी इन दिनों रामनाम और भक्ति रस से सराबोर हो जाती है।
Aadhaar-Based Biometric : 1 दिसंबर 2025 से AEBAS अनिवार्य मुख्य सचिव ने दिए निर्देश
रोजाना निकलती है राम जी की भव्य बारात
विवाह पंचमी के अवसर पर सबसे मुख्य आकर्षण होता है प्रभु श्रीराम की प्रतीकात्मक भव्य बारात। इस बारात में भक्तों का विशाल समूह शामिल होता है, जिसमें—
-
हाथी–घोड़े
-
पालकी
-
पारंपरिक ढोल–नगाड़े
-
बैंड–बाजा
-
झांकियाँ
सब मिलकर दिव्य और भव्य वातावरण का निर्माण करते हैं।
वधू और वर पक्ष की विशेष परंपरा
इस पर्व के दौरान वधू पक्ष (मिथिला) और वर पक्ष (अयोध्या) को प्रतीकात्मक रूप से दो दलों में विभाजित किया जाता है। दोनों दल परंपरागत रीति-रिवाजों को निभाते हुए राम–सीता के दिव्य विवाह को पुनः जीवंत करते हैं। यह पूरा आयोजन श्रद्धा, उत्साह और सांस्कृतिक भव्यता का अद्भुत संगम होता है।
धार्मिक महत्व
मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन राम–सीता विवाह का स्मरण करने से जीवन में—
-
सौभाग्य
-
वैवाहिक सुख
-
समृद्धि
-
और मनोवांछित फल
की प्राप्ति होती है। इसलिए देशभर से भक्त अयोध्या पहुँचकर इस पावन अवसर का हिस्सा बनते हैं।


