CJI shapath , नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत को नया नेतृत्व मिल गया है। जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक औपचारिक समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस दौरान उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कानून मंत्री सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
जस्टिस सूर्यकांत, सेवानिवृत्त हुए CJI भूषण आर. गवई के स्थान पर यह जिम्मेदारी संभालेंगे। उनका कार्यकाल करीब 15 महीनों का होगा, जिसमें उनसे न्यायिक सुधारों, लंबित मामलों में तेजी, तकनीकी उन्नयन और न्याय प्रणाली को अधिक सुलभ बनाने की दिशा में अहम कदमों की उम्मीद की जा रही है।
कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?
जस्टिस सूर्यकांत का न्यायिक करियर तीन दशकों से अधिक समय में फैला रहा है। वे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जज रहे, इसके बाद हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाए गए। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वे अपने प्रगतिशील फैसलों, सरल और स्पष्ट न्यायिक दृष्टिकोण तथा आम नागरिकों से जुड़े मामलों में संवेदनशील रुख के लिए जाने जाते हैं।
कार्यकाल पर रहेगी सबकी नजर
न्यायपालिका में तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल, ई-कोर्ट्स परियोजना, लंबित मामलों का निपटान और न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को और सुचारू करना—ये वे मुद्दे हैं जिन पर जस्टिस सूर्यकांत के कार्यकाल में विशेष फोकस रहने की उम्मीद है।इसके अलावा वे युवा वकीलों को अवसर देने और न्याय वितरण प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने के पक्षधर माने जाते हैं।
शपथ ग्रहण समारोह का माहौल
शपथ ग्रहण समारोह में गरिमामय और औपचारिक माहौल देखने को मिला। राष्ट्रपति ने जस्टिस सूर्यकांत को पद की शपथ दिलाने के बाद उन्हें शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें बधाई देते हुए कहा कि न्यायपालिका के नेतृत्व में यह नया अध्याय देश में कानून के शासन को और मजबूत करेगा।
जस्टिस सूर्यकांत का कार्यभार ग्रहण करना भारत की न्यायिक व्यवस्था के लिए एक नया महत्वपूर्ण अध्याय माना जा रहा है। आने वाले 15 महीनों में वे किस तरह न्यायपालिका को नई दिशा देते हैं, इस पर पूरे देश की निगाहें होंगी।


