रायपुर- राज्य आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो-एंटी करप्शन ब्यूरो(ईओडब्ल्यू-एसीबी) ने पिछले ढाई साल में 142 प्रकरण दर्ज किए हैं,इनमें आईएएस अफसरों के साथ ही छह लोकसेवक ऐसे भी हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति जांच एजेंसी को नहीं मिल पाई है,जिससे जांच की रफ्तार पर असर पड़ा है।

लोक सेवकों में नागरिक आपूर्ति निगम के तत्कालीन चेयरमैन व कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल का नाम भी शामिल हैं। भारतमाला परियोजना में घोटाले में संलिप्त एनएचएआई के चेयरमैन सव्यसाची चौधरी, रीजनल आफिसर पंकज ओझा और एके मिश्रा के खिलाफ प्रकरण तो दर्ज कर लिया गया, लेकिन इनके खिलाफ भी कार्रवाई करने अब तक हरी झंडी नहीं मिल पाई है। शराब घोटाले में फंसे झारखंड के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए झारखंड सरकार को दो बार पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन वहां से भी अनुमति नहीं मिलने के कारण उनपर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।कस्टम मिलिंग घोटाले में नागरिक आपूर्ति निगम के तत्कालीन चेयरमैन रामगोपाल अग्रवाल के खिलाफ प्रकरण दर्ज है। उन पर नान चेयरमैन रहते राइस मिलरों से सांठ-गांठ कर अवैध राशि की वसूली कर शासन को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। रामगोपाल के खिलाफ राइस मिलरों ने बयान भी दिया है।
ईओडब्ल्यू-एसीबी ने रामगोपाल अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई के लिए 13 फरवरी को चिट्ठी लिखी थी, लेकिन अब तक शासन से विधिवत अनुमति नहीं मिल पाई है। हालांकि रामगोपाल अग्रवाल के खिलाफ कोल लेवी घोटाले में भी प्रकरण दर्ज हैं, और वो फरार घोषित हैं। रामगोपाल से परे आबकारी घोटाले में संलिप्त झारखंड के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज है। सीसीएफ आरसी दुग्गा के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति के लिए वन विभाग को पत्र लिखा गया है। यह पत्र दो जून को भेजा गया है। दुग्गा पर तेंदूपत्ता पारिश्रमिक के लिए संग्राहकों को प्रदान की जाने वाले करोड़ों की राशि में भ्रष्टाचार का आरोप है। इस पूरे मामले पर ईओडब्ल्यू ने डीएफओ समेत आधा दर्जन से अधिक अफसरों-कर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। किंतु दुग्गा के मामले में अनुमति नहीं मिल पाई है।
